नई दिल्ली:
बांग्लादेश के राजनीतिक हालात का असर वहां की अर्थव्यवस्था पर भी साफ नजर आ रहा है.भारत से बांग्लादेश का व्यापार शेख हसीना के तख्तापलट के बाद करीब ठप हो गया है. अन्य देशों के साथ बांग्लादेश का व्यापार काफी घट गया है.इसकी वजह है अनिश्चितता. बांग्लादेश की राजनीतिक अनिश्चितता ने दूसरे देशों को सोचने पर मजबूर कर दिया.हालांकि,बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था 2023 में ही पटरी से उतरनी शुरू हो गई थी. बांग्लादेश के अखबार 'द डेली स्टार' के एमडी फजलुर रहमान की अर्थव्यवस्था और बिजनेस पर आईरिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भी मानती है कि आर्थिक मोर्चे पर हालात ठीक नहीं हैं.इसके वित्त सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद का कहना है कि उनकी प्राथमिकता बैंको में लोगों का विश्वास बहाल करना है.इसके बाद हम सुधार की दिशा में कदम उठाए जाएंगे.
2023 में कैसा था बांग्लादेश का हाल
एलियांज रिसर्च के इकोनॉमिक आउटलुक 2023-25 के मुताबिक,बांग्लादेश के मौजूदा हालात को देखते हुए वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 60 फीसद का हिस्सा रखने वाले देश 'प्रतीक्षा करो और देखो' का रवैया अपना रहे हैं. इससे महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय लेने में देरी होने का अनुमान है. साल 2023 के अंत तक अधिकांश इकोनॉमिक इंडिकेटर कोरोना महामारी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में आए व्यवधानों से पैदा हुए संकट से उबरने की कोशिश कर रहे थे. उनकी हालत खराब थी.
मुद्रास्फीति रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी.विदेशी मुद्रा भंडार गिर गया था,टका (बांग्लादेशी मुद्रा) का अवमूल्यन हो रहा था,निर्यात की रफ्तार धीमी पड़ गई थी और बैंकिंग क्षेत्र में परेशानियां नजर आ रही थीं. इन सभी ने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक बड़ा संकट खड़ा कर दिया.
विदेशी मुद्रा का घटता भंडार
विदेशी मुद्रा भंडार दो साल पहले की तुलना में आधे से भी कम रह गया था,मुद्रास्फीति 9 फीसद के आसपास थी. लगातार दूसरे साल गहराती आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता और न्यूनतम कीमत के कारण सूचीबद्ध कंपनियों की कमाई में लगातार आ रही गिरावट से निवेशकों के लिए शेयर बाजार में लगभग कुछ नहीं था.
हालांकि बांग्लादेश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 2023 शायद सबसे अच्छा साल था,क्योंकि इस दौरान कई प्रमुख परियोजनाएं पूरी हुईं.लंबे समय से प्रतीक्षित ढाका एलिवेटेड एक्सप्रेसवे सितंबर 2023 में जनता के लिए खोल दिया गया. पद्मा ब्रिज के जरिए से ढाका से भांगा तक 82 किलोमीटर की रेल लाइन ने दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में सस्ती रेल कनेक्टिविटी दी.
देश की पहली सुरंग,जिसका नाम बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के नाम पर रखा गया है,कर्णफुली नदी के नीचे अक्टूबर में खोली गई. दरअसल,व्यापक आर्थिक स्थिरता को बहाल करने के लिए साल के मध्य से कुछ नीतिगत उपाय किए गए.इसका मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की 4.7 अरब डॉलर के कर्ज के साथ जुड़ी शर्तें थीं.
बांग्लादेशी अर्थव्यवस्था की चुनौतियां
शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने 8 अगस्त को शपथ ली. मुहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश बैंक के पूर्व गवर्नर सालेहुद्दीन अहमद को वित्त और योजना मंत्रालयों का प्रभार सौंपा है.अहमद ने कहा,"अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना सर्वोच्च प्राथमिकता है." अहमद ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता केंद्रीय बैंक का संचालन फिर से शुरू कर बैंकों में आम लोगों का विश्वास बहाल करना है.इसके बाद हम सुधार लाने पर काम करेंगे.उन्होंने कहा,"विभिन्न कारणों से देश की अर्थव्यवस्था धीमी हो गई है.हमारा लक्ष्य अर्थव्यवस्था को जल्द से जल्द पुनर्जीवित करना है."
अखबार 'ढाका ट्रिब्यून' ने अहमद के हवाले से कहा है,''अर्थव्यस्था में कई खामियां हैं. बैंकिंग सेक्टर के साथ समस्याएं हैं और कुछ दूसरी जटिलताएं हैं. हमें हर मोर्चे पर काम करने की जरूरत है.'' उन्होंने कहा है कि बहुत ही कठिन समय में उन्हें यह जिम्मेदारी मिली है.ऐसे समय में केवल कानून-व्यवस्था या सुरक्षा उपायों को ही नहीं बल्कि बैंकों को खोलना या बंदरगाहों पर कामकाज को बनाए रखना,इन सबको भी समान रूप से महत्व देने की जरूरत है.इस बात की उम्मीद कम हैं कि वित्त वर्ष 2024 के बचे हुए समय में कोई बड़ा बदलाव आए,क्योंकि सभी प्रयास राजनीतिक गतिविधियों के इर्दगिर्द होंगे. इसमें आर्थिक मुद्दे पीछे रह जाएंगे.
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