भारत के खिलाफ साजिश को लेकर पाकिस्तान का हुआ पर्दाफाश
नई दिल्ली:
भीतरघात करने वाले किसी पड़ोसी को अपना दोस्त मानने से ज्यादा अच्छा होता है कि आप उसे ताउम्र अपना दुश्मन मानकर चलें. पाकिस्तान का भी हाल कुछ ऐसा ही है. 1999 में हुए करगिल युद्ध को लेकर पाकिस्तान की सेना ने जो बात कबूली है वो इस बात को पुख्ता करती है कि अगर आपके पड़ोस में पाकिस्तान जैसा देश हो तो उससे दोस्ती करने से कहीं ज्यादा बेहतर होगा कि आप उससे ताउम्र दुश्मनी ही निभाएं.करगिल युद्ध में भारत ने अपने कई वीर सपूत खोए थे. उस दौरान जब भारत ने इस युद्ध के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था तो पाकिस्तान ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से नकार दिया था. लेकिन अब जब इस युद्ध के हुए 25 साल बीत चुके हैं तो पाकिस्तानी सेना के बड़े अफसर ने पहली बार सार्वजनिक मंच पर ये माना है कि करगिल युद्ध में पाकिस्तानी आर्मी भी शामिल थी.
पाक की 'नापाक' करतूत का कबूलनामा
रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के जनरल हेडक्वार्टर (GHQ) का कारगिल युद्ध पर पहला कबूलनामा सामने आया है. चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) जनरल सैयद असीम मुनीर ने भारत के खिलाफ 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की प्रत्यक्ष भूमिका को स्वीकार किया… pic.twitter.com/PI0T4A2M8D
— NDTV India (@ndtvindia) September 7,2024
पाकिस्तान सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) जनरल सैयद असीम मुनीर ने भारत के खिलाफ 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना की प्रत्यक्ष भूमिका को स्वीकार किया है. मुनीर ने शुक्रवार को अपने रक्षा दिवस भाषण में भारत के साथ तीन युद्धों के साथ-साथ कारगिल का भी जिक्र किया.भारत के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा साजिश करने और उसे कबूलने का यह कोई पहला वाक्या नहीं है. चाहे बात करगलि की हो या फिर 26/11 में हुए मुंबई हमले की हो या फिर तालिबान को और ताकतवर करने की या फिर पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले की. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर पाकिस्तान ने कब-कब भारत के खिलाफ अपनी साजिश को लेकर कबूला है.
करगिल युद्ध को लेकर नवाज का बड़ा कबूलनामा
पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने करगिल युद्ध को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था. उन्होंने उस दौरान कहा था कि 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए. उसके बाद वाजपेई साहब यहां आये और हमारे साथ समझौता किया. लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया...यह हमारी गलती थी.
आपको बता दें कि लाहौर डिक्लेरेशन,दो पड़ोसियों के बीच 21 फरवरी,1999 को हस्ताक्षरित एक शांति समझौता था,जिसमें अन्य कदमों के अलावा शांति और सुरक्षा बनाए रखने और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया था. हालांकि,कुछ महीनों बाद,जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में पाकिस्तानी घुसपैठ के कारण कारगिल युद्ध हुआ.