ग्रीनलैंड में एक विशाल पहाड़ के हिस्से के ढहने से आई थी सुनामी
नई दिल्ली:
9 दिन तक धरती कांपती रही. यह तरंग आखिर उठ कहां से रही है? धरती की नब्ज पर नजर रखने वाले साइंटिस्ट हैरान-परेशान थे. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि यह हो क्या रहा है. उनकी मशीनों में ऊपर नीचे हो रहीं धरती की हार्ट-बीट बता रही थी कि कुछ तो गड़बड़ है. यह बात पिछले सितंबर की है. दुनियाभर के साइंटिस्ट की खोजबीन से एक साल बाद जो निष्कर्ष सामने आया है,वह परेशान करने वाला है. 9 दिन तक क्यों छूटी थी धरती की कंपकंपी,जानिए पूरी कहानी..
वैज्ञानिकों ने पिछले साल धरती के लगातार नौ दिनों तक हिलने के कारणों का पता लगा लिया है. वैज्ञानिकों के अनुसार ये घटना एक पहाड़ की चोटी के ढहने के बाद एक फजॉर्ड के अंदर फंसी एक मेगा सुनामी की वजह से हुई थी. वैज्ञानिकों ने माना है कि सितंबर 2023 में 650 फीट यानी 200 मीटर ऊंची लहर पूर्वी ग्रीनलैंड के डिक्सन फजॉर्ड के अंदर आगे-पीछे घूमती रही थी,इसी वजह से पिछले साल लगातार नौ दिनों तक भूंकप के झटके महसूस किए गए थे.वैज्ञानिक के अनुसार पहाड़ की चोटी ढहने की वजह से इतनी ऊर्जा उत्पन्न हुई कि अगले 9 दिनों तक इसका असर भूंकप के तौर पर सामने आया. वैज्ञानिकों ने इस भगौलिक घटना को विस्तार से समझने के लिए भूभौतिकीय उपकरणों की एक श्रृंखला का उपयोग किया. इसी दौरान वैज्ञानिकों को पता चला कि आखिर पिछले साल लगातार आए भूकंप की मुख्य वजह ये ही है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण बार-बार हो रही हैं. और जलवायु परिवर्तन की वजह से ही ग्रीनलैंड में ग्लेशियर भी तेजी से पिघर रहे हैं.
देखें,दुनिया के नक्शे में कहां पर है ग्रीनलैंड
हिक्स ने आगे कहा कि हमें उसी समय डेनमॉर्क के एक सहकर्मी,जो ग्रीनलैंड में बहुद ज्यादा फील्डवर्क करते हैं,को एक सुदूर फजॉर्ड में आई सुनामी की रिपोर्ट मिली. ये सूचना के तुरंत बाद हमनें इसपर मिलकर काम करना शुरू किया.
हमारी टीम ने भूकंपीय डेटा का इस्तेमाल करते हुए सिग्नल के स्रोत का पता लगाने के लिए पूर्वी ग्रीनलैंड में डिक्सन फजॉर्ड का पता लगाया. इसके बाद हमने सैटेलाइट इमेजरी और फजॉर्ड की तस्वीरें सहित अन्य सुराग जुटाए,जो सिग्नल आने से ठीक पहले डेनिश नौसेना द्वारा ली गई थीं.हमें सैटेलाइट इमेज में फिओर्ड की एक खाई में धूल का बादल दिखा. यह हमने घटना से पहले और बाद की तस्वीरों का आंकलन किया हमें पता चला कि एक पहाड़ ही ढह गया है. और इसकी वजह से ग्लेशियर का एक हिस्सा पानी में बह गया है.