26/11 टेरर अटैक की फायरिंग के बीच जन्म लेने वाली 'गोली' के पिता ने बताई उस रात की कहानी

2025-04-11 HaiPress

मुंबई:

मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाकर गिरफ्तार कर लिया गया है. उसे पालम एयरपोर्ट से पटियाला कोर्ट में पेश किया गया,जहां कोर्ट में उसकी रिमांड पर सुनवाई हुई. NIA ने कोर्ट से तहव्वुर राणा की 20 दिन की रिमांड मांगी है,जिसके लिए उन्होंने कोर्ट में कई सबूत पेश किए हैं. कोर्ट ने राणा को 18 दिनों के लिए NIA रिमांड पर भेज दिया. मुंबई हमले आज भी लोगों को सहम जाते हैं. उस हमले में कई लोगों की जानें गईं और कई घायल हुए. इसी हमले के दौरान एक बच्ची का जन्म हुआ था,जिसका नाम गोली रखा गया था. गोली के पिता लक्ष्मण चौहान ने उस रात की खौफनाक कहानी सुनाई जब मुंबई के कामा अस्पताल में आतंकियों ने हमला किया था.

'गोलीबारी के बीच उनकी बेटी का जन्म हुआ'


मुंबई में 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने हमला किया था,जिसमें कई जगहों पर गोलीबारी हुई थी. इनमें ताज होटल और कामा हॉस्पिटल भी शामिल थे. उसी रात अपनी पत्नी को डिलीवरी कराने आए लक्ष्मण चौहान ने अपनी आपबीती सुनाई,जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे गोलीबारी के बीच उनकी बेटी का जन्म हुआ,जिसका नाम गोली रखा गया.

गोली के पिता लक्ष्मण चौहान ने उस रात की खौफनाक कहानी सुनाई जब मुंबई के कामा अस्पताल में आतंकियों ने हमला किया था. उनकी पत्नी गर्भवती थी और उन्हें पेट में दर्द हो रहा था,इसलिए वे उसे अस्पताल लेकर पहुंचे थे. डॉक्टरों ने उन्हें कुछ दवाइयां लेने के लिए बॉम्बे हॉस्पिटल जाने को कहा. जब वे पर्ची लेकर दवा लेने के लिए सीढ़ी से नीचे आ रहे थे,तभी उन्हें गोली की आवाज सुनाई दी. पहले उन्हें लगा कि यह पटाखों की आवाज है. लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि यह गोलीबारी है. आतंकवादी अस्पताल में घुस आए थे और उन्होंने हथियारों से गोलीबारी शुरू कर दी. डॉक्टरों ने गेट बंद कर दिया,लेकिन आतंकवादी ऊपर आ गए और उन्होंने गन से कांच पर मारा. हालांकि,कांच नहीं टूटा.

गोलीबारी के बीच लक्ष्मण चौहान की बेटी का जन्म हुआ. उन्होंने अपनी बेटी का नाम गोली रखा,जो उस रात की याद दिलाता है जब आतंकियों ने हमला किया था. यह घटना मुंबई के इतिहास में एक काला दिन है,जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था.

6 नवंबर 2008 का वो खौफनाक दिन,सपनों के शहर मुंबई में आतंकी समंदर की लहरों के बीच से होकर दशहत फैलाने के नापाक इरादों के साथ दाखिल हुए. जिन्होंने दूधिया रोशनी में नहाए शहर की चमक को खून के धब्बों से रंग दिया. सन्नाटे को चीरती गोलियों की आवाज़,होटलों की आलीशान दीवारों में गूंजती चीखें,और सड़कों पर फैलता खौफ. ये उस खौफनाक मंजर के लम्हें थे,जहां मुंबई में खतरनाक कालिशनकोव असॉल्ट राइफल से बरसी गोलियों की तड़तड़ाहट से देश के हर शख्स की रूह थर्रा उठी.

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