2025-04-21
HaiPress
नई दिल्ली:
उत्तरी बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले में हिंदू समुदाय के एक प्रमुख नेता भबेश चंद्र रॉय की क्रूरतापूर्ण हत्या ने न केवल बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं,बल्कि भारत-बांग्लादेश के कूटनीतिक रिश्तों में भी तनाव की स्थिति पैदा कर दी है. 58 वर्षीय भाबेश चंद्र रॉय,जो बांग्लादेश पूजा उद्यापन परिषद की बिराल इकाई के उपाध्यक्ष थे,को गुरुवार शाम उनके घर से अगवा कर बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला गया. यह घटना उस समय हुई जब वह दिनाजपुर के बसुदेबपुर गांव स्थित अपने आवास पर थे.
भाबेश की पत्नी शांतना ने बताया कि उन्हें शाम 4:30 बजे एक फोन आया,जिससे संदेह होता है कि यह कॉल उनकी मौजूदगी की पुष्टि के लिए किया गया था. इसके करीब 30 मिनट बाद दो मोटरसाइकिलों पर सवार चार अज्ञात लोग पहुंचे और उन्हें जबरन अपने साथ ले गए. बाद में उनका शव पास के नाराबारी गांव में बरामद किया गया.
पुलिस ने घटनास्थल की पुष्टि करते हुए बताया कि रॉय को बुरी तरह पीटा गया था और उनकी हत्या के पीछे संगठित साजिश की आशंका है. बिराल थाने के प्रभारी अधिकारी अब्दुस सबूर के अनुसार,मामला दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है.
भारत ने बांग्लादेश सरकार को याद दिलाया कि वह बिना किसी भेदभाव के अपने सभी नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाए. जायसवाल के मुताबिक,"हम इस घटना की निंदा करते हैं और ढाका की अंतरिम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह त्वरित व निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करे."
बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे अत्याचार और भबेश रॉय की हत्या इस बात का प्रमाण है कि प्रधानमंत्री की कूटनीतिक पहल निष्फल रही है.पिछले दो महीनों में हिंदू समुदाय पर 76 हमले हो चुके हैं,जिनमें 23 लोग मारे गए हैं. ये आंकड़े सरकार के ही संसद में दिए गए उत्तर से लिए गए हैं.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी बयान जारी कर कहा,"यह कोई अकेली घटना नहीं है. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की श्रृंखला बेहद चिंताजनक है — मंदिरों को अपवित्र करना,व्यवसायों और घरों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं."
उन्होंने कहा कि भारत सरकार को केवल निंदा नहीं बल्कि सक्रिय कूटनीतिक हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाया जा सके और न्याय सुनिश्चित हो.
विशेषज्ञों का मानना है कि भबेश रॉय की हत्या और इसके बाद उपजे विवाद ने भारत-बांग्लादेश के संबंधों को एक नए तनावपूर्ण मोड़ पर पहुंचा दिया है. शेख हसीना के सत्ता से हटने और मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में बनी अंतरिम सरकार को भारत पहले ही सतर्क निगाहों से देख रहा था.