2025-04-22
IDOPRESS
पोप फ्रांसिस अब हमारे बीच नहीं रहे
वेटिकन सिटी:
आपने कभी किसी एक्टर,एथलीट या राजनेता को पोप से हाथ मिलाते देखा है. ऐसा लगता है जैसे वो खुद किसी सुपरस्टार से हाथ मिला रहे हों और अब इस मुलाकात के बाद उनका जीवन धन्य हो गया. लेकिन अपने स्टारपावर के अलावा,पोप के पास बहुत सारी वास्तविक शक्ति भी हैं. वह एक ऐसे विशाल संगठन को चलाते हैं जो दुनिया भर में 1.3 बिलियन से अधिक कैथोलिकों का समूह है- यानी वैश्विक आबादी के लगभग पांचवें हिस्से का नेता.
पोप फ्रांसिस अब हमारे बीच नहीं रहे. दुनिया भर में कैथोलिक चर्च के नेता ने 88 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है. कई दिनों तक सांस लेने में दिक्कत महसूस होने के बाद पोप को 14 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. दोनों फेफड़ों में निमोनिया का पता चलने से पहले उनका पहले ब्रोंकाइटिस का इलाज किया गया था. आज उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.
इस एक्सप्लेनर में हम आपको बताएंगे कि पोप बाकि धर्मगुरुओं से किस तरह अलग होते हैं? वो धार्मिक के साथ-साथ कैसे राजनीतिक शक्तियों के भी केंद्र होते हैं?
न्यूयॉर्क में स्थित कोलगेट यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर टिमोथी बायर्न्स ने अपने एक आर्टिकल में पोप के दोहरे पावर के बारे में बताया है. उनके अनुसार अंतर्राष्ट्रीय संबंधों (इंटरनेशनल रिलेशनशिप) में पोप का पद बिल्कुल ही अद्वितीय है यानी ऐसा और कोई नहीं दिखता. कुछ मायनों में एक देश की तरह कार्य करते हुए,पोप फ्रांसिस का अल्बानिया से जिम्बाब्वे तक दुनिया भर के 180 से अधिक देशों के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध (डिप्लोमेटिक रिलेशनशिप) रहा. वहीं साथ ही,पोप कैथोलिक चर्च का आध्यात्मिक नेता है,इस धार्मिक समुदाय से एक अरब से अधिक लोग जुड़े हैं. अपने स्टेटस की वजह से ही पोप एक प्रमुख ग्लोबल सेलिब्रिटी माने जाते हैं. वैश्विक राजनीतिक मुद्दों पर होनी वाली सार्वजनिक बहसों में उनकी बातों को सुना जाता है. अगर आप साल दर साल दुनिया के सबसे पावरफुल लोगों की लिस्ट देखें तो टॉप 10 में अधिकतर एक नाम कॉमन पाएंगे.
पोप दुनिया भर में कैथोलिक नेताओं के नेता हैं. प्रोफेसर टिमोथी बायर्न्स का कहना है कि दुनिया में हर बिशप को पोप व्यक्तिगत रूप से नियुक्त करता है. इसलिए जब आप विश्व राजनीति या अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में सोचते हैं,तो आप पोप के पावर के बारे में सोचते हैं. हर देश में कैथोलिक हैं,और उनका नेतृत्व बिशप करते हैं जिन्हें पोप द्वारा नियुक्त किया जाता है.
चौथी शताब्दी से 1870 के पीरियड के दौरान,वेटिकन ने रोम के आसपास के क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल कर लिया और यह पोप राज्यों की राजधानी बन गया. 1929 में लेटरन संधि हुई और इटली की फासीवादी सरकार ने वेटिकन सिटी की स्वतंत्र संप्रभुता को मान्यता दी थी. यानी उसे आजाद देश मान लिया.