2025-05-16
IDOPRESS
What are AMRAAM Missiles: जानिए अमेरिका ने तुर्की को कौन से हथियार बेचे हैं.
AMRAAM Missiles Explained:भारत जब पाकिस्तान की हिमाकतों का सामना कर रहा है,जब हर मोर्चे पर उसको कड़ा जवाब दे रहा है- तब अमेरिका अपनी हरकतों से भारत की चिंताओं को बढ़ाने का काम कर रहा है. वह भारत के दुश्मन (पाकिस्तान) के दोस्त (तुर्की) को हथियार बेचने में लगा है. वो भी ऐसे हथियार जो पाकिस्तान ने पहले भी शर्तों को तोड़ते हुए भारत के खिलाफ इस्तेमाल किए हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने 15 मई को कुल मिलाकर 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक कीमत के हथियार तुर्की को बेचने की घोषणा की है. पाकिस्तान के साथ हाल के टकराव में जिस तरह तुर्की ने अपना रंग दिखाया है,पाकिस्तान को सहायता दी है- ऐसी स्थिति में अमेरिका का उसको इतने खास हथियारों को बेचना भारत की चिंताओं को बढ़ा सकता है.
पहला पैकेज 225 मिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत का है. इसमें AIM-120C-8 एडवांस मीडियम रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलों (AMRAAM) और उससे जुड़े लॉजिस्टिक और प्रोग्राम सपोर्ट बेचने के लिए तुर्की के साथ हाथ मिलाया है. बयान के अनुसार,तुर्की सरकार ने अमेरिका से एक-दो नहीं कुल 53 AIM-120C-8 एडवांस मीडियम रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलों (AMRAAM) को खरीदने का अनुरोध किया था. साथ में उसने छह AIM-120C-8 AMRAAM गाइडेंस सिस्टम भी मांगा था.उसी दिन,अमेरिकी विदेश विभाग ने तुर्की को AIM-9X साइडवाइंडर ब्लॉक II मिसाइलों की एक अलग बिक्री को भी मंजूरी दे दी,जिसकी कीमत 79.1 मिलियन डॉलर थी. इस डील में 60 ऑल-अप-राउंड मिसाइलें और 11 टैक्टिकल्स गाइडेंस यूनिट्स,साथ ही उससे जुड़े सपोर्ट आइटम शामिल हैं.आपकों यहां 4 सवाल-जवाब में इससे जुड़ा सबकुछ एक्सप्लेन करते हैं:
AMRAAM मिसाइलें होती क्या हैं?AMRAAM मिसाइलों को कौन बनाता है?तुर्की को मिल रहा AIM-120C-8 सबसे खास क्यों?तुर्की को AMRAAM मिलने से भारत को क्या चिंता?
AMRAAM मिसाइलों को अत्याधुनिक F-35 जैसी स्टील्थ फाइटर जेट की मदद से हवा में ले जाया जाता है और वहीं से यह हवा में किसी दूसरे देश के जेट या किसी भी टारगेट को निशाना बनाने के लिए काम में लाया जाता है. इन्हें दो अमेरिकी कंपनी द्वारा विकसित और निर्मित किया जाता है. AMRAAM को अमेरिका की वायु सेना,अमेरिकी नौसेना इस्तेमाल करती है और अपने सहयोगी देशों को भी बेचती है.
प्रोग्राम फेज दिसंबर 1981 में समाप्त हुआ जब दोनों कंपनियों ने प्रदर्शित किया कि उनकी टेस्ट-फ्लाइट वाली मिसाइलें वायु सेना और नौसेना की आवश्यकताओं को पूरा कर सकती हैं. वायु सेना ने पहले ह्यूजेस एयरक्राफ्ट कंपनी को जिम्मेदारी दी की वो इन मिसाइलों का बडे़ पैमाने पर बनाना शुरू करे. रेथियॉन को दूसरे निर्माता के रूप में चुना गया था. दोनों कंपनियों को अमेरिकी सरकार की तरफ से 1987 में मिसाइले बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया. यानी ये दोनों प्राइवेट कंपनी अमेरिकी सरकार के लिए AMRAAM मिसाइलें बनाती हैं और कॉन्ट्रैक्ट के तहत पैसे लेकर दे देती है.
इसे एडवांस अमेरिकी जेट F-15,F-16,F-22 और F-35 सहित कई दूसरे प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है. यह तुर्की की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की लिस्ट में सबसे एडवांस होगा. गौरतलब है कि नाटो में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक F-16 लड़ाकू जेट तुर्की के पास ही है. उसके पास लगभग 270 F-16 C/D लड़ाकू विमान हैं. अब तुर्की उनपर इन AIM-120C-8 AMRAAM मिसाइलों को लगा सकता है.
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