2025-05-19
HaiPress
नई दिल्ली:
'ऑपरेशन सिंदूर' और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के बारे में दुनिया को अवगत कराने के लिए सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बनाए हैं. ये प्रतिनिधिमंडल दुनिया के बड़े देशों,खासकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सदस्य देशों का दौरा करेगा.अलग-अलग दलों के नेता इन प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुख बनाए गए हैं. इनमें से एक दल के नेता हैं वरिष्ठ बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद. इस दल में रविशंकर प्रसाद के अलावा दुग्गुबति पुरंदेश्वरी,प्रियंका चतुर्वेदी,गुलाम अली खटाना,डॉक्टर अमर सिंह,शामिक भट्टाचार्य,एमजे अकबर और पंकज शरण. यह प्रतिनिधिमंडल ब्रिटेन,फ्रांस,जर्मनी,यूरोपीय यूनियन,इटली और डेनमार्क की यात्रा करेगा.
One mission. One message. One Bharat 🇮🇳
Seven All-Party Delegations will soon engage key nations under #OperationSindoor,reflecting our collective resolve against terrorism.
Here's the list of MPs & delegations representing this united front. https://t.co/1igT7D21mZ pic.twitter.com/3eaZS21PbC
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) May 17,2025
एमजे अकबर ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता को लेकर कई पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखे हैं. इसमें उन्होंने पीएम मोदी सरकार की इस उपलब्धि की तारीफ की है. उन्होंने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ आतंकवाद का स्पांसर बताया है. उन्होंने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद आंतकवाद के ठिकानों पर भारत की सीधी कार्रवाई की सराहना की है. एक अखबार के लिए लिखे एक लेख में अकबर ने लिखा कि पाकिस्तान का जन्म ही हिंसा में हुआ था और उसे हिंसा में ही संरक्षित किया जा रहा है.
अकबर ने 2012 में पाकिस्तान को लेकर एक किताब लिखी थी. इसका शीर्षक था 'टिंडरबॉक्स: दी पास्ट एंड फ्यूचर ऑफ पाकिस्तान'. इस किताब में पाकिस्तान का आधुनिक इतिहास दिया गया है. इसमें उन्होंने उन ऐतिहासिक और वैचारिक कारकों का विश्लेषण किया है,जिनकी वजह से पाकिस्तान बना.
अकबर करीब दो दशक बाद 2014 में फिर राजनीति में सक्रिय हुए. इस बार उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ली. बीजेपी ने उन्हें अपना प्रवक्ता बनाया था. और 2015 में उन्हें राज्य सभा भेजा. साल 2016 में जब नरेंद्र मोदी की पहली कैबिनेट का विस्तार हुआ तो उसमें एमजे अकबर को शामिल किया गया. उन्हें विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया था. लेकिन 2018 में कुछ महिला पत्रकारों की ओर से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद एमजे अकबर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने के बाद अकबर ने पीएम मोदी और तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आभार जताया था कि उन्होंने मुझे देश की सेवा करने का अवसर दिया.
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