2025-05-19
HaiPress
Russia-Ukraine Peace Talk: पुतिन और जेलेंस्की के बिना तुर्की में वार्ता हो रही है.
Russia-Ukraine Peace Talk:पिछले 3 साल से जारी रूस-यूक्रेन का युद्ध कब रूकेगा? इसी युद्ध को खत्म करने की संभावना पर पहली बार सीधी बातचीत के लिए कीव और मॉस्को के प्रतिनिधिमंडल इस्तांबुल में हैं. दोनों देशों के बीच यहां वार्ता हो रही है. लेकिन यहां बातचीत से बीच का कोई रास्ता निकलेगा,इसकी उम्मीदें कम हैं. वैसे तो इस बैठक का प्रस्ताव शुरू में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद रखा था. लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रतपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने मांग रखी कि पुतिन खुद इस बैठक में आएं तो वो तुरंत बातचीत के लिए बैठक में पहुंच जाएंगें. लेकिन पुतिन ने इस बुलावे को अस्वीकार कर दिया और इसके बजाय दोनों देशों के अन्य प्रतिनिधिमंडल के बीच बातचीत हो रही है.
कूटनीति कहां जा रही,पता नहीं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हड़बड़ी में लड़ाई खत्म करने और जल्द से जल्द सीजफायर पर दोनों के बीच डील कराना चाहते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि बीच का रास्ता निकालने के बीच में एक बहुत बड़ी खाई दिख रही है. वार्ता में मॉस्को और कीव की मांगें बहुत अलग दिखाई देती हैं.
पुतिन ने पिछले साल किसी भी शांति समझौते के लिए बातचीत करने शर्त के तौर पर यूक्रेन से उन क्षेत्रों के कुछ हिस्सों से अपनी सेना हटाने की मांग की थी जिन पर उसकी सेना अभी भी नियंत्रण रखती है. इस्तांबुल में वार्ता को संबोधित करते हुए रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने गुरुवार को पुतिन की उन मांगों को संभावित समाधान का आधार बताया. लेकिन कीव ने कहा है कि वह क्रीमिया सहित अपने कब्जे वाले क्षेत्रों को कभी भी रूसी क्षेत्र के रूप में मान्यता नहीं देगा.हालांकि जेलेंस्की संकेतों में यह स्वीकार करते दिखे हैं कि रूस किसी भी शांति समझौते के रूप में कुछ भूमि पर नियंत्रण बनाए रख सकता है.
मार्च में पुतिन ने यूक्रेन को संयुक्त राष्ट्र समर्थित "अस्थायी प्रशासन" के तहत रखने का विचार रखा,जिससे जेलेंस्की को हटाने की उनकी मांग ताजी हो गई. पूरे युद्ध के दौरान रूसी अधिकारियों ने यूक्रेन के "विसैन्यीकरण" और "डी-नाजीफिकेशन" का आह्वान किया है. वो यूक्रेन को नया नाजी शासन के रूप में दिखाता है. लेकिन कीव,पश्चिमी देशों और स्वतंत्र विशेषज्ञों ने उन नैरेटिव को खारिज कर दिया है.
रूस ने कई बार यूक्रेन की सेना के आकार को सीमित करने की भी मांग की है,वह चाहता है कि यूक्रेन को एक तटस्थ स्टेट घोषित किया जाए और पश्चिमी देश उसे हथियारों की आपूर्ति बंद कर दें.
अब कीव उसकी बजाए पश्चिमी देशों से ऐसे सैन्य सुरक्षा की प्रतिबद्धता मांग रहा है जो मॉक्सो को रोके. ब्रिटेन और फ्रांस के नेतृत्व में कई यूरोपीय देश किसी भी सीजफायर को लागू करने के लिए सेना की तैनाती के बारे में चर्चा कर रहे हैं. कीव और उसके समर्थकों को अभी भी उम्मीद है कि वाशिंगटन यूरोपीय सहयोगियों से सुरक्षा गारंटी को मजबूत करने के लिए कुछ बैकअप देगा. वहीं मॉस्को ने कहा है कि वह किसी भी क्षमता में यूक्रेन में तैनात नाटो देशों के सैनिकों को स्वीकार नहीं करेगा.
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